बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22(Bihar: Econmic Survey-2021-2022)
प्रमुख बिंदु–
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25 फरवरी, 2022 उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानसभा केबजट सत्र के पहले दिन सदन के पटल पर राज्यका 16वाँ आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया।
बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 2020-21 में 2.5 प्रतिशत कीवृद्धि हुई।
पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान बिहार में क्षेत्रवार वृद्धि दर –
क्षेत्र प्रतिशत | |
1 | प्राथमिक क्षेत्र 2.3 प्रतिशत |
2 | द्वितीयक क्षेत्र 4.8 प्रतिशत |
3 | तृतीयक क्षेत्र 8.5 प्रतिशत |
. पिछले पाँच वर्षों 2016-17 से 2020-21 के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। पशुधन और मत्स्यपालन की वृद्धि दर क्रमश: 10 प्रतिशत एवं 7 प्रतिशत रही है।
पिछलेदस वर्ष में (वर्ष 2019-20 केआँकड़ों के मुताबिक) राज्य का शहरीकरण तेज़ी से बढ़ा है-वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में शहरीकरण का स्तर महज़ 11.3 प्रतिशत था, जो वर्तमान में15.3 प्रतिशत हो गया है।
शहरीकरण
शहरीकरण मेंभीकाफीअसमानता
ज़िले में शहरीकरण का स्तर
1.पटना-सर्वाधिक (44.3 प्रतिशत)
2.मुंगेर (28.3 प्रतिशत) और
3. नालंदा(26.2 प्रतिशत) (केवल इन तीन जिलों में ही शहरीकरण का प्रतिशत 25 सेअधिक है)
प्रतिव्यक्ति आय
प्रतिव्यक्ति आय में भी काफी असमानता
मौजूदा बाज़ार मूल्य पर 2020-21 केदौरान भारत के 86,659 रुपए प्रति व्यक्ति आय की तुलना में बिहार में प्रति व्यक्तिआय 50,555 रुपए रही।
सर्वाधिक प्रति व्यक्ति आय वाले 5 जिले
1.पटना ज़िला (131.1हज़ार रुपए)
2.बेगूसराय ज़िला( 51.4 हज़ार रुपए)
3.मुंगेर (44.3हज़ार रुपए)
4.भागलपुर (41.8 हज़ार रुपए)
5.रोहतास (35.8 हज़ार रुपए)
न्यूनतम प्रति व्यक्ति आय वाले 5 जिले
- शिवहर (19.6 हज़ार रुपए)
2. अररिया (20.6 हज़ार रुपए)
3. सीतामढ़ी (22.1 हज़ार रुपए)
4. पूर्वीचंपारण (22.3 हज़ार रुपए)
5. मधुबनी (22.6 हज़ार रुपए)