कोठारी आयोग/राष्ट्रीय शिक्षा आयोग (1964-66)
परिचय (Introduction)
Table of Contents
आधिकारिक नाम | राष्ट्रीय शिक्षा आयोग, 1964 |
गठित | 14 जुलाई 1964 |
अध्यक्ष | डॉ. दुलत सिंह कोठारी (डी.एस कोठारी) |
कुल सदस्य | 17 (14 भारतीय) |
सचिव | जे. पी. नाइक |
उप सचिव | जे. एफ. मैकडॉगल |
सलाहकार सदस्य | 20 |
संस्तुतियाँ | 23 |
उद्देश्य | मौजूदा शिक्षा प्रणाली में दोषों को दूर करना मुख्य उद्देश्य (ओं) भारतीय शिक्षा प्रणाली की समीक्षा करना और इसके सुधार के लिए भारत सरकार को उचित सुझाव देना। |
रिपोर्ट प्रस्तुत | 29 जून, 1966 (तत्कालीन शिक्षा मंत्री एमसी छागला को)287 पन्नों की रिपोर्ट |
रिपोर्ट (About Report)-
- अवधि-21 महीने की
- साक्षात्कार-9000 व्यक्तियों का
- जांच–2400 ज्ञापनों की
- रिपोर्ट–29 जून 1966 को अपनी 287 पन्नों की
- तत्कालीन शिक्षा मंत्री-एम. सी. छागला
- रिपोर्ट में चार उप खंड– खंड I: सामान्य मुद्दे, खंड II: शिक्षा के चरण,खंड III: सिफारिशें और कार्यक्रम,खंड IV : अतिरिक्त कागजात
- आयोग के चार मुख्य विषय(Theme)-उत्पादकता में वृद्धि,सामाजिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना,शिक्षा और आधुनिकीकरण,सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास
कोठारी आयोग की 23 सिफारिशें (Recommendations)
1. शिक्षा प्रणाली में दोष
2. शिक्षा के उद्देश्य
3. शैक्षिक संरचनाओं और मानक
4. पाठ्यचर्या
5. पाठ्यपुस्तक
6. शिक्षण के तरीका
7. मार्गदर्शन और परामर्श
8. पर्यवेक्षण और निरीक्षण
9. प्रशासन
10.छात्रों के शारीरिक कल्याण
11.मूल्यांकन
12. प्रौढ़ शिक्षा पर भारतीय शिक्षा आयोग की सिफारिश।
13. शिक्षक शिक्षा
14. तीन (3) भाषा सूत्र
15. नैतिक और धार्मिक शिक्षा
16. महिलाओं की शिक्षा
17. व्यावसायिक शिक्षा
18. कार्य अनुभव
19. दूरस्थ शिक्षा
20. विश्वविद्यालय के उद्देश्यों और कार्यों
21. उच्च शिक्षा में नामांकन
22. चयनात्मक प्रवेश
23.विश्वविद्यालय स्वायत्तता
महत्वपूर्ण सुझाव (संक्षिप्त)-Important Recommandations-
1.प्राथमिक शिक्षा– 1 से 3 वर्ष की पूर्व
2.पहली कक्षा में नामांकन-6 वर्ष पूरे होने पर ही
3.मातृभाषा में ही-प्राइमरी कक्षाओं में शिक्षा
4. स्थानीय भाषाओं में शिक्षण को प्रोत्साहन-माध्यमिक स्तर (सेकेण्डरी लेवेल) पर
5.पहली सार्वजनिक परीक्षा -10 वर्ष की विद्यालय शिक्षा पूरी करने के बाद-गणित और विज्ञान को शिक्षा का अभिन्न अंग
6.समान पाठयक्रम -बालक-बालिकाओं समान अवसर
7.विषय विभाजन कक्षा नौ के बदले कक्षा 10 के बाद
8.माध्यमिक विद्यालय दो प्रकार के हों-उच्च विद्यालय और उच्चतर विद्यालय।
9.कॉमन स्कूल सिस्टम लागू किया जाए
10. 25 प्रतिशत माध्यमिक स्कूलों को ‘व्यावसायिक स्कूल’ में परिवर्तित किया जाए
11.उच्च शिक्षा में 3 या उससे अधिक वर्ष का स्नातक पाठ्यक्रम हो और उसके बाद विविध अवधि के पाठ्यक्रम हों
12.स्नातकोत्तर तक की शिक्षा मातृभाषा में
13.शिक्षक की आर्थिक, सामाजिक व व्ययसायिक स्थिति सुधारने की सिफारिश
14.निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा – 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए
15.भाषाएँ – आयोग ने राज्य स्तर पर त्रिभाषा सूत्र अपनाने की सिफारिश
16.क्षेत्रीय भाषाओं, संस्कृत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं-अंग्रेजी को बढ़ावा
17.शिक्षकों के लिए अनुकूल और पर्याप्त सेवा शर्तें
18.सामाजिक न्याय को बढ़ावा–लड़कियों की शिक्षा, पिछड़े वर्गों की शिक्षा, आदिवासी लोगों की शिक्षा, शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग बच्चों पर ध्यान
19.स्नातकोत्तर स्तर के अनुसंधान, प्रशिक्षण, पर्याप्त पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और निधियों को उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान
परिणाम (Results)-
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-1968 का निर्माण-
- इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 1967 में निर्वाचित चौथी लोकसभा ने विधेयक पारित
- इस नीति में कोठारी आयोग की कई सिफारिशें शामिल थीं – 1.मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा. २.शिक्षकों की स्थिति और वेतनमान में संशोधन, 3. शैक्षिक अवसर की समानता और 4. विज्ञान शिक्षा।
- 10+2+3 पैटर्न पर शिक्षा प्रणाली
- 1986 में एक केंद्रीय बोर्ड, उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई
- राजीव गांधी मंत्रालय द्वारा शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति के 1986 के संशोधन को प्रभावित किया।
- 2005 में सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग द्वारा आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों पर दोबारा गौर किया .